A part of Bhagwaan Parshuram's past
एक समय था जब कृतवीर्य के पुत्र कार्तवीर्य अर्जुन नाम के क्षत्रिय राजा (हज़ार भुजाएं होने के कारण जिसे सहस्त्रार्जुन भी कहा जाता था) ने महर्षि जमदग्नि की हत्या कर दी। महर्षि की पत्नी रेणुका उन्ही के साथ सती हो गई। इसके बाद महर्षि के पुत्र ने क्या किया जानते है आप?
अपनी निजी पीड़ा में भी उन्होंने विचार चिंतन किया कि क्यों उनके पिता महर्षि जमदग्नि की हत्या की गई? क्या कारण था? कहाँ फैला था इतना अधर्म? कौनसे अहंकार में यह घृणित कृत्य किया गया? अपनी शक्ति में मदान्ध ये क्षत्रिय राजा जब मेरे पिता महर्षि जमदग्नि जैसे व्यक्ति के साथ इतना अत्याचार कर सकते है तो आम जनमानस के साथ कितना अन्याय करते होंगे? अधर्म! अधर्म! अधर्म!
उन्होंने अपनी निजी पीड़ा का विस्मरण कर समस्त मनुष्य जाति की पीड़ा को ही अपनी पीड़ा बना लिया और अधर्मी क्षत्रियों का नाश कर समग्र आर्यावत को शुद्ध करने को ही अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया। अपना समस्त जीवन इसी कार्य मे झोंक दिया। पृथ्वी को जीत कर भी उन्होंने उसका उपभोग नही किया, अपितु अपने गुरुजनों को दान कर दी।
अगर वो केवल अपना निजी प्रतिशोध लेकर ही बैठ जाते तो आज "भगवान" परशुराम नही कहलाते!
इसीलिए भगवान परशुराम पूजनीय है, न केवल ब्राह्मणों के लिए अपितु समस्त मानव जाति के लिए।
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